नवरात्रि का प्रथम दिन माँ दुर्गा के पहले स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री हैं और शुद्धता, शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन की पूजा विशेष रूप से शक्ति और मनोबल को बढ़ाने के लिए की जाती है।
माँ शैलपुत्री का नाम 'शैल' यानी पर्वत और 'पुत्री' यानी बेटी से बना है, जिसका अर्थ है पर्वतों की बेटी। यह देवी दुर्गा के नव रूपों में सबसे पहला रूप हैं और इनकी पूजा से जीवन की सभी कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं।
माँ शैलपुत्री को समर्पित यह दिन शुद्धता और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन सभी नई शुरुआतों के लिए शुभ होता है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से व्रत और साधना का पालन किया जाता है।
मूल मंत्र:
"ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।"
ध्यान मंत्र:
"वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"
इस मंत्र का जाप करने से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
2024 में नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर को है, और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 AM से 8:30 AM के बीच है। इस समय माँ शैलपुत्री का आह्वान करना अत्यंत फलदायी होता है।
नवरात्रि के पहले दिन का रंग पीला होता है। यह रंग शुद्धता, समृद्धि और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। भक्त इस दिन पीले वस्त्र पहनते हैं और अपने आस-पास पीले रंग के फूलों और सजावट का प्रयोग करते हैं।