नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह रूप देवी की तपस्या और साधना का प्रतीक है, जो संयम, त्याग, और शक्ति का साक्षात् रूप मानी जाती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को जीवन में धैर्य और समर्पण की शक्ति प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी, देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं, जो कठिन तपस्या करती हैं और योग साधना में लीन रहती हैं। इस रूप में माँ के हाथ में कमंडल और माला होती है, जो त्याग और भक्ति का प्रतीक है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से संयम, भक्ति, और आत्म-नियंत्रण की प्राप्ति होती है। इस दिन साधना करने से जीवन में स्थिरता और धैर्य प्राप्त होता है। माँ ब्रह्मचारिणी के उपासक कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता प्राप्त करते हैं।
मूल मंत्र:
"ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।"
ध्यान मंत्र:
"दधाना करपद्माभ्यां अक्षमाला कमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥"
इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को ध्यान और साधना में सफलता प्राप्त होती है।
2024 में नवरात्रि का दूसरा दिन 4 अक्टूबर को है, और पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 AM से 8:25 AM तक है। इस समय में पूजा करने से भक्तों को माँ का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन का रंग हरा होता है, जो समृद्धि, उन्नति और हरीतिमा का प्रतीक है। भक्त इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनते हैं और पूजा स्थल को हरे फूलों से सजाते हैं।